Music Therapist Kaise Bane
Music Therapist Kaise Bane: संगीत की सीमा सिर्फ मनोरंजन तक नहीं सिमित है. भारतीय शास्त्रीय संगीत और उसके प्रभाव के बारे में कई शोधपरक बातें कही जाती हैं.
दरअसल, संगीत का सीधा असर हमारे मनोभावों पर पड़ता है. संगीत के स्वास्थ्य पर पड़नेवाले प्रभावों पर कई तरह के शोध भी हो चुके हैं.
दुनियाभर में हुए कई शोध नतीजों में गीत-संगीत के अनेक फायदे बताये गये हैं. सबसे खास है कि अगर आपका संगीत से लगाव है, तो आपके तन और मन की सेहत भी बेहतर होगी.
संगीत से बढ़ती है एकाग्रता
म्यूजिक मन के विचलन को नियंत्रित करता है. आपको अगर संगीत में रम जाने की आदत है, तो इससे आपकी एकाग्रता बढ़ेगी. शोध में भी बताया गया है कि सर्जरी के समय म्यूजिक सुनाकर मरीजों का दर्द कम किया जा सकता है.
कई मामलों में तो संगीत के प्रयोग के बाद मरीज को एनीस्थीसिया देने की जरूरत ही महसूस नहीं की गयी. पेड़-पौधों में संगीत से जल्दी और सही ग्रोथ होने की बात सामने आयी.
एंजायटी व डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों के इलाज में भी म्यूजिक बेहद कारगर सिद्ध हुआ है. ऑटिज्म, डिमेंशिया, फिजिकल डिसेबिलिटी के मरीजों पर भी संगीत का सकारात्मक असर पाया गया है.
इन सारी बातों के मद्देनजर आप चाहें, तो म्यूजिक थेरेपिस्ट बन कर फुल टाइम या पार्ट टाइम जॉब कर सकते हैं.
Music Therapist में जॉब के अवसर
बड़े-बड़े हेल्थ सेंटर या हॉस्पिटल्स में जहां इलाज के ऑफबीट तरीके भी आजमाये जाते हैं, वहां म्यूजिक थेरेपिस्ट की सेवाएं ली जाती हैं. म्यूजिक थेरेपिस्ट शिशु रोग विशेषज्ञ व अन्य हेल्थ प्रोफेशनल्स के साथ तालमेल बिठाकर काम करते हैं.
स्पीच या लैंग्वेज थरेपिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, मोटिवेशनल एक्सपर्ट और सोशल वर्कर्स भी अपने काम में सुलिक’ थेरेपिस्ट का सहयोग लेते हैं.
एक म्यूजिक भरवस्ट के रूप में अपनी दिलचस्पी के मुत्ताबिक आप विभिन्न सेक्टर्स में जॉब प्राप्त कर सकते हैं. दिव्यांग बच्चों के इलाज के लिए म्यूजिक थेरेपी का उपयोग किया जाता है.
ऐसे बच्चों ल भी म्यूजिक थेरेपिस्ट नियुक्त किये जाते हैं. कई हाउस अपने कर्मचारियों को अवसाद और चिंता से मुक्ति दिलाने के लिए समय-समय पर वर्कशॉप का आयोजन करते हैं.
वहां अननिक्रतियों के साथ म्यूजिक थेरेपिस्ट को भी बुलाया जाता है.
म्यूजिक थेरेपी में कर सकते हैं कोर्स
म्यूजिक थेरेपिस्ट बनने के लिए मुख्य बिषय म्यूजिक के साथ बारहवीं और बैचलर डिग्री या साइकोलॉजी में बैचलर डिग्री होनी चाहिए.
साथ ही संगीत की बारीक जानकारी भी आवश्यक है. आपको इस दौरान Occupational Therapy, नर्सिग और सोशल वर्क सीखना होगा.
Music Therapy के प्रमुख संस्थान
(I) सेंट मीरा कॉलेज पुणे . (क्लीनिकल म्यूजिक थेरेपी में एक वर्ष का फुलटाइम या दो वर्ष का पार्ट टाइम पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा).
(ii) चेन्नई स्कूल ऑफ म्यूजिक थेरेपी में म्यूजिक थेरेपी की बेसिक जानकारी के लिए ऑनलाइन फाउंडेशन कोर्स कराया जाता है. इससे जुड़े फील्ड में डिग्री हासिल कर चुके लोग यहां म्यूजिक थेरेपी में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा ले सकते हैं.
(iii) नाद, सेंटर फॉर म्यूजिक थेरेपी, चेन्नई और दिल्ली से म्यूजिक थेरेपी में सर्टिफिकेट कोर्स किया जा सकता है. यह डिस्टेंस लर्निंग कोर्स है.
(iv) मुंबई एजुकेशनल ट्रस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव करियर में छह महीने का पार्ट टाइम कोर्स करके म्यूजिक सर्टिफिकेट ले सकते हैं.
(v) सेंटर फॉर म्यूजिक थेरेपी एंड मेंटल हेल्थ, अमृतसर . यहां म्यूजिक थेरेपी में हिस्टेंस एजुकेशन कोर्स किया जा सकता है.
Music Therapist के लिए जरुरी स्किल
सबसे पहले आपकी संगीत के प्रति दीवानगी होनी चाहिए. इसके अलावा नए आइडिया और उन्हें लागु करने का जुनून होना चाहिए.
साथ ही लोगों की भावनाओं और जरूरतों को समझना, उनकी मदद के लिए तत्पर रहना, उनकी तकलीफों को जानना और सही तरीके से सलाह देना भी जरुरी है.