Moral Stories in Hindi
समझदार बकरी
बहुत समय पहले एक जंगल में एक चेरू नाम का भेड़िया रहता था. वह काफी समय से जंगल में पानी की तलाश कर रहा था. पानी न मिलने के कारण उसकी हालत बिगडती जा रही थी.

और वो मन ही मन बडबडा रहा था “न जाने मुझे पानी कब मिलेगा, और कितना चलना पड़ेगा, अगर पानी ना मिला तो मैं मर जाउँगा. हे भगवान कुछ मदद करो”
थोड़ी देर में उसे कुछ दूर एक कुआं दिखाई डेता है. कुआँ देख चेरू बहुत खुश हो जाता है. वह पूरी जोश के साथ कुएं के पास पहुँचता है और उसमे छलांग लगा डेता है.
चेरू को उस कुएं में पानी के साथ-साथ एक बकरी भी दिखाई देती है चेरू और भी ज्यादा खुश हो जाता है. और बोलता है “अरे वाह मुझे तो पानी के साथ-साथ खाना भी मिल गया.”
बकरी चेरू को देखकर डर जाती है वह सोचने लगती है कहीं भेड़िया उसे खा न जाए. भेड़िया पानी पिने लगता है और बोलता है “आहा कितना मीठा पानी है, मजा आ गया”
भेड़िया पानी पिने के बाद खुश हो जाता है. जब वह पानी पिने के बाद कुएं को ध्यान से देखता है तो वह चिंता में पड़ जाता है.
कुआँ बहुत ज्यादा गहरा था भेड़िया बोला “हे भगवान ये मैंने क्या किया, मैंने तो सोचा ही नहीं मैं कुए से बाहर कैसे निकलूंगा.” भेड़िया कुए से निकलने के लिए छलांग लगता है. मगर कुछ फायदा नहीं होता वह थक हार कर बैठ जाता है.
फिर वो डरी हुई बकरी को देखता है और सोचता है “अरे मैं तो भूल ही गया पहले इस बकरी को खा लेता हूँ कुए से निकलने की तरकीब तो मैं बाद में भी सोच सकता हूँ.”
बकरी अपनी जान बचाने के लिए कहती है “भेड़िये भैया क्या तुम मुझे खाने वाले हो” भेड़िया कहता है “और नहीं तो क्या कोई बेबकुफ़ तुमारे जैसा स्वादिष्ट भोजन को छोड़ेगा.”
बकरी बोली “वो तो ठीक है मगर मेरे पास कुए से निकलने के लिए एक तरकीब भी है भेड़िये भैया मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूँ, नहीं तो रात में तुम भी यंहां ठंड से मर जाओगे, जैसे मैं पूरी रात यहाँ ठंड में थी.”
भेड़िया पूछता है “कैसी तरकीब ये तो बताओ” बकरी ने कहा “भेड़िये भैया मैं चाहती हूँ की तुम मेरे पीठ पर चढ़कर छलांग लगा दो और बहार निकल जाओ बाद में मुझे रस्सी डालकर निकल लेना.”
चेरू भेड़िया ने सोचा “यह बकरी बात तो सही कह रही है अगर मैं इसे खा लिए तो मैं बहार कैसे निकलूंगा वैसे भी मैं इसे बाहर निकल कर भी खा सकता हूँ.”
फिर बकरी अपने पैर को दीवार से टिका लेती है और भेड़िया बकरी के पीठ पर चढ़ कर पूरी ताकत से छलांग लगा देता है और कुए से बहार आ जाता है.
चेरू भेड़िया रस्सी का इतेजाम करता है और कुए में रस्सी डाल कर बकरी को भी बाहर निकाल लेता है.
जैसे ही भेड़िया बकरी को खाने के लिए आगे बढता है चालाक बकरी कहती है “तुम्हारा बहुत-बहुत सुक्रिया भेड़िये भैया तुमने मुझे खाने की जगह मेरी बात मान ली और हम दोनों की जान बचा ली आप बहोत अच्छे हो और दयावान भी हो आप मुझे खा सकते थे मगर आपने ऐसा नहीं किया.”
भेड़िये को बकरी की बात सुनकर बहोत अच्छा लगा जाने अनजाने में उसने किसी की मदद जो की थी.
भेड़िया बोला “सुक्रिया तो मुझे तुम्हारा करना चाहिए इसे पहले मेरी नियत बदले तुम यहाँ से चली जाओ, क्योंकि तुम्हें तो मैं अभी भी खा सकता हूँ.”
फिर बकरी वहाँ से चली गयी.
नैतिक शिक्षा (Moral Education): इस कहानी से हमें सिख मिलती है की हमें मुसीबत के समय घबराना नहीं चाहिए समझदारी के साथ शत्रु का सामना करना चाहिए और उसको मित्र बना लेना चाहिए.