Electoral Bonds: भारत में हर तरह के राजनितिक पार्टी हैं, कोई छोटा तो कोई बड़ा इन पार्टियों को चलने के लिए उन्हें फंड जुटाना पड़ता है, जिससे वो पार्टी को सुचारू रूप से चला सकें.
किसी भी पार्टी में कोई फंडिंग घप्पलेबाज़ी न हो और राजनितिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में Electoral Bond पेश किये थे.
Electoral Bonds क्या है
Electoral Bond एक बॉन्ड है जिसमें इसका निर्दिष्ट मूल्य लिखा होता है जिसका मतलब अंकित मूल्य नोट की तरह उपयोग होता है.
इन बॉन्डों का प्रयोग लोगों, संस्थान या कोई संगठन किसी भी राजनितिक पार्टी को धन दान करने के लिए किया जाता है.
Electoral Bond विभिन्न प्रकार के मूल्यों में उपलब्ध होते हैं जैसे 1000 रु, 1लाख रु, 10 लाख रु और 1 करोड़.
इस बॉन्ड की सुरुआत वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जनवरी 2018 में इससे संबंधित सभी नियमावली जारी किये थे.
Electoral Bonds की खास बातें
- हमारे देश में कोई भी नागरिक, संस्था या कंपनी पंजीकृत राजनीतिक पार्टी को चंदा देने के लिए चुनावी बांड खरीद सकते हैं
- बॉन्ड खरीदने के लिए KYC फॉर्म भरना अनिवार्य है.
- चुनावी बॉन्ड 1,000, रु, 10,000, रु, 1 लाख, रु, 10 लाख और रु, 1 करोड़ के उपलब्ध है.
- प्रत्येक पार्टी जो कि पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन, 1951 के सेक्शन 29A के तहत पंजीकृत है और उसने हाल के लोक में कम से कम 1% वोट हासिल किए हैं.
- चुनावी बांड के माध्यम से चंदा प्राप्त करने के लिए सभा या राज्य चुनाव पात्र होंगे.
- Electoral Bond खरीदने वाले का नाम गुप्त रखा जायेगा, जिसने चुनावी बॉन्ड दिया है उसका भी नाम गुप्त रखा जायेगा.
- चुनावी बॉन्ड की समय सीमा 15 दिन के लिए होगी. जिसमें राजनीतिक दलों को चंदा दान किया जा सके.
- इन बॉन्ड पर बैंकों द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा.
- Electoral Bond केवल भारतीय स्टेट बैंक की कुछ ब्रांच से खरीदे जा सकते हैं.
- ये बांड प्रत्येक वर्ष जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीनों में खरीदे जा सकते हैं।
- राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को यह भी बताना होगा कि उन्हें इलेक्टोरल बॉन्ड से कितना पैसा मिला।