Debt to Equity Ratio Kya Hai: इस पोस्ट में हम आपको डेट इक्विटी-रेशियो क्या होता है और इसकी क्या अहमियत है इसके बारे में विस्तार से बताएँगे.

डेट इक्विटी-रेशियो क्या है? Debt to Equity Ratio Kya Hai
डेट इक्विटी-रेशियो यानि कर्ज और इक्विटी अनुपात किसी भी कंपनी के कर्ज की स्थिति को दिखाता है. इसे डेट इक्विटी-रेशियो कहते हैं.
डेट इक्विटी-रेशियो से क्या पता चलता है?
इसे पता चलता है की किसी कंपनी को कारोबार चलाने में खुद की पूंजी कितनी लग रही है और कर्ज की रकम कितनी लगाई जा रही है.
डेट इक्विटी-रेशियो से ये भी पता चलता है की कंपनी को कर्ज देने वालों और शरेधारकों का कंपनी के एसेट्स (संपत्तियों) पर किस हिसाब से दावा होगा.
डेट इक्विटी-रेशियो की गणना कैसे की जाती है? डेट इक्विटी-रेशियो क्या है? Debt to Equity Ratio Kya Hai Formula
Total Liabilities (देनदारियां)
डेट इक्विटी-रेशियो = ----------------------------------------
Shareholder's Equity (इक्विटी)
डेट इक्विटी-रेशियो बराबर होता है टोटल Liabilities को अगर हम Shareholder’s Equity से भाग दें.

Total Liabilities क्या होता है?
- छोटी अवधि के लोन
- लंबी अवधि के लोन
- फिक्स्ड पेमेंट्स
छोटी अवधि के लोन, लंबी अवधि के लोन और फिक्स्ड पेमेंट्स के जोड़ को Total Liabilities कहते हैं.
Debt to Equity Ratio मुख्य बातें
अगर Debt Equity Ratio 1 से कम हो तो उसे काफी अच्छा माना जाता है. इसी तरह 1 से 2 के बीच के DE रेशियो को ठीक समझा जाता है.
DE रेशियो यदि 2 से ज्यादा हो तो कर्ज को लेकर चिंताएं बढ़ने लगती हैं और ये माना जाता है की कंपनी पर कर्ज का बोझ ज्यादा है.
हलाकि फाइनेंसियल और मेनुफचारिंग जैसी Capital intensive बिज़नस वाली कंपनियों के लिए ये रेशियो 2 से ऊपर भी हो सकता है.
सर्विसेस और टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियों के लिए यह रेश्यो अमूमन कम रहता है यानि Debt Equity Ratio जितना कम हो कंपनी की कर्ज की स्थिति उतनी ही बेहतर मानी जाएगी.
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