मैं गाँधी बन जाऊँ Main Gandhi Ban Jaun | माँ खादी की चादर दे दे कविता
माँ, खादी का कुर्ता दे दे
मैं गाँधी बन जाऊँ
सब मित्रों के बीच बैठ
फिर रघुपति राघव गाऊँ
छोटी सी धोती पहनूँगा
खादी की चादर ओढूँगा
घड़ी कमर में लटकाऊँगा
सैर सवेरे कर आऊँगा
मुझे रुई की पोनी दे दे
तकली खूब चलाऊं
माँ, खादी का चादर दे दे
मैं गाँधी बन जाऊँ
गाँव में ही रहा करूँगा
भले काम मैं किया करूँगा
छुट-अछूत नहीं मानूँगा
माँ, खादी का चादर दे दे
मैं गाँधी बन जाऊँ
मैं बकरी का दूध पिऊँगा
जूता अपना आप सिऊँगा
आज्ञा तेरी मैं मानूँगा
सेवा का प्रण मैं ठानूँगा
कभी किसी से नहीं लडूँगा
और किसी से नहीं डरूँगा ,
झूठ कभी मैं कहूँगा
सदा सत्य की जय बोलूँगा .
माँ, खादी का चादर दे दे
मैं गाँधी बन जाऊँ.
– कमला चौधरी